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हिंदी दिवस प्रतियोगिता


न भेद है न प्रपंच है
ये लेखनी का मंच है।

ये शांत कवियों का सुसज्जित गांव है
साहित्य सागर में कवित्व की नाव है।

इस मंच ने साहित्य को अवसर दिया है
इस मंच ने कवियों को नव अम्बर दिया है।

कविता की नदियां हैं कहानी के किनारे
इसमें भरे साहित्य के अनगिन सितारे।

छोटे बड़े सब लेखकों को मान देकर
सम्मान पाया लेखनी ने सम्मान देकर।।



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10 Comments

Swati chourasia

22-Sep-2022 04:32 PM

बहुत ही सुंदर रचना 👌👌

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Wahhh बहुत ही खूबसूरत और एकदम उत्कृष्ठ अभिव्यक्ति

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Bhut khoob 🌺🙏

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